फ्रांस के उच्च दानेदारी वाले विधायकीय चुनाव में बायां पक्ष के दलों की संघर्ष से एक बंद पर्लियामेंट का नतीजा निकला है, जिसमें किसी एक दल को पूर्ण बहुमत नहीं मिला।
फ्रांस के वरिष्ठ नेताओं ने इसे राजनीतिक अस्थिरता का संकेत माना है, क्योंकि नए सरकार गठन के लिए कोई स्पष्ट पथ नहीं दिख रहा है। इस चुनाव ने नेताओं के बीच तीव्र विचार-विमर्श को परतगार किया है, जहां बायां पक्ष के दलों ने फार राइट और राष्ट्रपति एमानुएल मैक्रॉन के केंद्रवादी संघ को पीछे छोड़ा है।
चुनावी परिणाम: बंद पर्लियामेंट और नयी राजनीतिक स्थिति
फ्रांस की 577 सीटों वाली राष्ट्रीय सभा में किसी भी एक गठबंधन ने पूर्ण बहुमत नहीं हासिल किया, जिससे देश को नए सरकार गठन के लिए राजनीतिक खंड में धकेल दिया गया है। इस नई स्थिति में, प्रधानमंत्री गैब्रियल अटाल ने सोमवार को अपना इस्तीफा पेश करने की घोषणा की है, लेकिन उन्होंने यह भी कहा है कि वे तब तक कार्य करेंगे “जब तक कर्तव्य की मांग हो”, खासकर अगले हफ्ते होने वाले ओलंपिक खेलों के समीपतम में।
SUNITA KEJRIWAL CASE ON MODI SARKAR
नए लोकप्रिय मोर्चा: फ्रांस की नई राजनीति
नए लोकप्रिय मोर्चा (NFP) जो कि मैक्रॉन ने चुनाव का आयोजन करने के बाद गठित किया गया था, में सोशलिस्ट, हरित वामपंथी, कम्युनिस्ट और कड़े वामी फ्रांस यून्बाउड जैसे पहले गहरी विभाजित दलों को एकत्रित किया गया।
बायां पक्ष का यह गठबंधन 177 सीटें जीता, जबकि मैक्रॉन के एन्सेंबल ने 148 सीटें हासिल कीं और मरीन ले पेन की नेशनल रैली (RN) ने 142 सीटें जीतीं।